उम्र बढ़ती जा रही है
दिन बीतते जा रहे हैं
हम अपनी अपनी दुनिया में खोये हैं
मुलाकातें होती ही नहीं हैं
बातें किये बरसों बीत गए हैं
चल दोस्त , दो बातें करते हैं
पहले ही अच्छा था
एक शहर में रहते थे
स्कूल में हर रोज़ मिलते थे
शैतानियां साथ हुआ करती थी
टीचर की मार भी साथ साथ होती थी
पर आज न स्कूल रहा न शहर
ख़ामोशी ने शैतानियां की ले ली है जगह
चल दोस्त दो बातें करते हैं
दूरियां रिश्तों की कभी न थी
दोस्ती आज भी ज़िंदा हैं सीने में
तो फिर ये ख़ामोशी कैसी
तो फिर यह चुप्पी कैसी
तुम बोलोगे कि
कैसी दूरी दोस्त
कल ही तो व्हाट्सप्प में भेजा था स्कूल ग्रुप में
न्योता बेटी की शादी का
सब आना
क्या दोस्त ये मेसेजिंग को बात करना कहते हो
उसमें वो बात नहीं जो बातों में हैं
वह अपनापन नहीं जो बातों में हैं
चल दोस्त दो बातें करते हैं
पहले पहले जब दूर जाते
तो एक दूजे को खत लिख देते थे कभी
आज तो पोस्ट ऑफिस से पोस्ट कार्ड और इनलैंड लेते ही नहीं
मेल मेल आज बदल गया हैं
अब वह मेल, मेल ना रहा
कंप्यूटर पे लिखी लाइन आज मेल बन गयी हैं
पोस्ट ऑफिस की शकल बरसों देखी नहीं हमने
पोस्ट कार्ड और इनलैंड जाने कहाँ खो गये हैं
कुछ अपनों के पुराने ख़त आज भी संभल के रखे हैं
घर में जब अकेला होता हूँ
उनको पढ़ लेता हूँ
दोस्तों को याद कर लेता हूँ
चल दोस्त दो बातें करते हैं
उम्र बढ़ती जा रही हैं
अपने दूर होते जा रहे हैं
हम कहाँ , तुम कहाँ
कुछ अपने साथी खो गये हैं जीवन सफर में
जो हैं आज भी , चल उन्हें संभल के रखते हैं
मिलना तो मुश्किल हो सकता हैं
पर बात करने में क्या मुश्किल है
बात करते उसी फ़ोन से
जिससे करते हैं दिन में सैकड़ों मैसेज
बात करते हैं उसी फ़ोन से
जिससे भेजते हैं रोज़ कई इ-मेल
चल दोस्त , दो बातें करते हैं
बस एक फ़ोन करें
एक दूजे को जन्मदिन पे
बस एक फ़ोन करें
नए साल की मुबारकबाद पे
बस एक फ़ोन करें
एक दूजे की साल गिरह पे
बस एक फ़ोन करें
घर में कोई ख़ुशख़बरी पे
बस एक फ़ोन करें
घर में किसी के जाने पे
बस एक फ़ोन
कभी बकवास करने के लिए
बस एक फ़ोन करें
कभी गुस्से में गाली देने के लिए
चल दोस्त , दो बातें करते हैं
बेटी की शादी का न्योता भेजा हैं तूने
चल सब बचपन के दोस्तों को
लगा एक एक कर सकबो फ़ोन
बोल , शादी पे ज़रूर आना
देखना वानर सेना लपक-झपक के पहुँच जाएंगी
चालीस नहीं तो तीस तो ज़रूर आ जायेंगे
बस तेरे एक फ़ोन पे
पचास साल की दोस्ती जाग उठेगी
तेरा फ़ोन, हमलीन के पाइड पाइपर की तरह बजेगा
और हम चूहों की तरह
तेरे वहां आ पहुंचेंगे
चल दोस्त , तुझे दोस्ती की कसम
चल दोस्त , दो बातें करते हैं
SS
बहुत खूब!
ReplyDeleteBahut hi achi hai... Ek toh Hindi main hai toh it's feeling good connect.
DeleteU have that touch which can make the mundane poignant
ReplyDeleteAmazing 👏
ReplyDeleteWaheah
ReplyDeleteVery relatable
ReplyDeleteShaandar, sarre dosto ke dil se
ReplyDeleteWonderful sir, it really takes backs to nostalgia
ReplyDeleteWonderful Sir!
ReplyDeleteNo comments.I will talk to you 😊
ReplyDeleteVery touching and got into flash back memories.
ReplyDeleteबचपन के दोस्त याद आ गए. सिबेश सर वाह क्या खूब लिखा है
खूब लिखा है आपने।। हकीकत बयां कर दी कुछ पंक्तियों में।।
ReplyDeleteToo good 👌
ReplyDeleteआपने हर सच्चे मित्र की भावनाओं को व्यक्त किया है
ReplyDeleteHindi, and so nicely expressed. How true each word, every feeling!!
ReplyDeleteKya khub lika है Sir
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