सरयू नदी का तट हो
पीपल का विशाल वट हो
भोर - रात्रि का काल हो
और रामजी प्रकट हो
हाथ में स्वर्ण धनुष हो
पीठ पे तीरों भरा तरकश हो
आँखों से झलकता प्यार हो
और मुख पे मुस्कान हो
सर मेरा झुका सा हो
हाथ उनके मेरे सर पर हो
धीरेसे पूछे मुझसे वो
मांगने क्या आये हो
आपकी कृपा से तो
चल रहा जहां जो
सिर्फ मुझ को आप बदल दो
मेरे अंदर के रावण को मार दो
कौन सा वो रावण है
जो आज भी अमर है
क्या वो भी दस मुख धारी दैत्य है
बता वो तुझमे कहाँ छिपा है
तो उठाओ बाण हे राम
चलाओ तीर मेरे राम
ध्वस्त करो मेरे अंदर के रावण को राम
मुक्त करो मुझे हे राम
नाश करो मेरे काम , क्रोध, मोह को
ध्वस्त करो मेरे लोभ , माध , मात्सर्य को
अंत करो मेरे अहंकार , कुबुद्धि , मानस और चित्त को
करो विनाश आज इन सभीको
चलाओ अपने ब्रह्मास्त्र को
विनाश करो मेरे रावण को
तीर ऐसे चलाओ तो
फिर जाग न पाये वो
चलाओ मेरे मस्तिष्क पर
चलाओ मेरे हाथों पर
चलाओ मेरे ह्रदय पर
जहाँ मेरे कुकर्म और कुबुद्धि का है घर
पर इस बार ध्यान रखना तुम
पहले की तरह इस बार ना तुम
मारना नहीं मेरी नाभि पे तुम
कहीं भी और निर्भीक हो मारना मुझे तुम
मेरी नाभि मेरी माँ से जुडी हुई
मेरी माँ को ना कोई चोट आये
मारो मेरे रावण को कहीं भी चाहे
बस माँ को कोई ना दुःख आये
जनमा था एक राम उसने
पर कब रावण घुस बैठा मुझमे
क्या से क्या हो गया हूँ मैं
आज करो उसी रावण का अंत मुझमे
मेरी माँ का क्या कुसूर है
जो मेरे भीतर जाग आया रावण है
उसने मुझे उतना ही प्यार दिया है
जितना आपकी माँ ने किया है
तो उठाओ बाण हे राम
चलाओ तीर मेरे राम
ध्वस्त करो मेरे रावण को राम
मुक्त करो मुझे हे राम
हे राम, मेरे राम!
SS
Nicely Expressed
ReplyDeleteIt's always a pleasure to read your poems/blogs/stories... Keep writing for us to keep loving you
ReplyDeleteVery nicely written sir.
ReplyDeleteawesome
ReplyDeleteSuch a beautiful poem. Awesome
ReplyDeleteBahut Achha Bhai!
ReplyDeleteAwesome dada 🤗
ReplyDeleteVery nicely written Sir
ReplyDeleteAmazing thoughts - nicely expressed.
ReplyDeleteGood one
ReplyDeleteअसाधारण।। सिबेश, रामजी की आशीर्वाद हो आप पर और आप ऐसे ही सुंदर कविताएं लिखते रहे। हे राम।।
ReplyDeleteNice.
ReplyDeleteVery Nice poem... Jai Shree Ram 🙏❤
ReplyDeleteWhat a thought! Beautiful rhythm! Truly brilliant!
ReplyDeleteBeautifully written
ReplyDeleteBeautifully crafted for this yug
ReplyDeleteJai Shree Ram
ReplyDeleteWow you can do poetry in Hindi
ReplyDeleteAwesome Sirji . Dubey
ReplyDeleteYe shayar wale sibesh sir to aur badhiya hai.... Kamal ka likha hai sir
ReplyDeleteSo well expressed. A pleasure to read.
ReplyDeleteJai Shri Ram
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