Sunday 2 May 2021

सारे नियम तोड़ दो

 एक रात की बात बताऊँ

ठण्ड से बदन मेरा काँपा

और आंख गयी खुल

दायीं ओर देखा तो चौंक उठा

मेरी चादर लपेटे येह कौन सो रही है

कोई भूतप्रेत या कोई चुड़ैल तो नहीं

पास जा के देखा तो पायायेह तो वही है

जो मुझे तीस सालों से दिन भर सहीगलत सीखा रही है

यहाँ जाओ , वहां नहीं

येह खाओ , वह नहीं

बिल पे किया , ठीक दिया ना

अभी तक  TV ही देख रहे हो

सब्ज़ी कौन लाएगा , मछली बासी क्यों है

मैं उसकी शिकायतें लिखते थक जाऊं

पर वह करते नहीं थकती कभी

long playing record की तरहचलती जाये

देखो अभी कितनी शांति से सो रही है

कितनी शांति है घर में

येह ऐसे ही क्यों नहीं रहती हमेशा

शांत से चुपचाप लेटी हुई

ज़िन्दगी गुलज़ार होती अगर वह ऐसी होती

पर हमारी किस्मत ऐसी कहाँ

येह तो ट्रेजेडी फिल्म का छोटा सा कमर्शियल ब्रेक है

तमाशा और तकलीफ कभी कम नहीं होगी

अक्सर गाने को दिल चाहता है

सारे नियम तोड़ दो, नियम से चलना छोड़ दो

इन्किलाब ज़िंदाबाद, इन्किलाब ज़िंदाबाद.

 

पर फिर सोचता हूँ , अगर कल तुम ना होगी

तो मेरी सुबह सुबह ना होगी

वह चाय की गरम प्याली में

ना ताज़गी होगी ना महक

मेरे अखबार पड़ते पड़ते

तुम पौधों को प्यार से

पानी छिड़कती और हर रोज़

एक फूल गमले से उठा के

भगवन के समीप रख देती

हर चीज़ सही जगह पे कैसे

रख देती हो तुम

साबुन , Surf, Shampoo

ख़तम होने से पहले ही

घर में उनका  stock रख लेतीहो तुम

तुम्हारे खाने की क्या तारीफ करूँ

हर प्रकार के व्यंजन

इतने प्यार से बनाती हो

गर्मी में पसीने में लतपत

घंटों रसोई में अकेले टुक टुक करती लगी रहती हो

पर खाने में कैसी मिठास भर देती हो तुम

जादू है तेरे हाथों में

जो छु दे तू खाना लज़ीज़ कर देती हो तुम

और अब तो आलू के परांठे भी बना लेती हो तुम

क्या हो तुमसोचता रहता और मुस्कुराता हूँ मैं.

 

तुम्हारा दिल सही जगह पे होगा ज़रूर

और उस दिल में धरड़कन भी सही होगी

वरना हर किसी को सही वक्त पे तन्खा कैसे दे देती हो तुम

किसी को भूखा घर से ना जाने देती हो तुम

दिवाली पे सबको हाथ खोलके प्यारसे बक्शीश देना

कभी भी येह ना सोचना कहीं ज़्यादा तो नहीं दे दिया ?

हर दवाई के बारे में जानती हो तुम

कब कैसे खानी है , वह भी जानती हो तुम

किसी डॉक्टर या सर्जन से कम नहीं हो तुम

मैं भूल जाऊं पर तुम नहीं भूलती

मेरे माता-पिता की बरसी पे

फूलों की माला उनकी तस्वीरों पे

हर साल जाने कैसे पहना देती हो तुम

इंसान को मानती हो

पूजा करती हो बहुत ही कम

इंसानियत , सच्चाईऔर स्वाभिमान को

कुछ ज़्यादा ही मानती हो तुम .

 

बेटी की परवरिश में

तुम्हारा हाथ कण कण में दीखता है

ऊँगली पकड़ के तुमने उसको आगे बढ़ाया

स्कूल , कॉलेज की परीक्षाओं से आगे

उसकी शादी तक का हर पल और हर सफर

तुम्हने प्यार से , फूँक फूँक के

उसको आगे बढ़ाया है तुमने

पीछे मुरड़के देखता हूँ बेटी को

तुम्हारी परछाई और छाप पाता हूँ मैं

सोचता हूँ तुम्हारे साथ एक इवेंट मैनेजमेंट कंपनी खोल लूँ

मैं सेल्स मैनेजर और तुम उसकी इवेंट मैनेजर

मैं गलतियां करुँ, और तुम सुधर दो , सवार दो

कौन कम्बख्त कहता है की सारे नियम तोड़ दो

और नियम पे चलना छोर्ड दो

बेफकूफहै , सबसे बड़ा इडियट है वह

सच कहती हो तुम जब मुझे तुम गधा बोलती हो

गधे को गधा नहीं तो और क्या कहोगी तुम .

 

कोई भी काम तुम्हारे लिए छोटा नहीं

कोईभी काम तुम्हारे लिए मुश्किल नहीं

अपनी माँ की बिमारी में क्या क्या ना किया तुम्हने

Nurses को पैसे दिए और अक्सर काम खुद किया

मुखाग्नि भी तुम्हीने किया

कमाल की हो तुम!

मैं बैठा अपना काम करता रहता हूँ

और तुम चुपके से मेरे गुसलखाने घुस जाती हो

बिना किसी घृणा के वह सब साफ़ कर देती हो

जो मैल मैं अक्सर अनजाने में छोड़ आता हूँ .

मैं दुनिया की सैर करता हूँ

कभी इस देश , तो कभी उस

देश के भी कई बार चक्कर लगाता हूँ मैं

तुम अकेले घर पे मेरा इंतज़ार करती हो

कभी नहीं बोलती हो

चलूँ क्या तुम्हारे संग?

मैं भी देखना चाहती हूँ

पर हर ख्वाइश का गला घोंट लेती हो तुम

पता नहीं किस मिट्टी की बानी हो तुम?

 

यह क्या हो गया हैआज मुझे

मैं येह सब क्यों बोल रहा हूँ

हाँ तुम्हने उस दिन जब बोली मुझे

अगर तुम नहीं रहोगे तो मेरा क्या होगा

अरे पगली , तेरे बिना मेरा क्या होगा

यह ना सोचा तूने?

बहुत अकेला ….

बहुत बेबस ….

कैसे कहूँ की तुम

मेरी Wife नहीं ज़िन्दगी की WiFi हो

तुम नहीं तो सब थपसब बंद

यह सब सोचते सोचते मैं उसकी तरफ मुड़ गया

अपने हाथको उसके ऊप ररख दिया मैंने

हलके से उसको जकड लिया मैंने

जाने ना दूंगा तुझे!

अगर तू चुड़ैल है , तो मैं भी बेताल हूँ !

खूब खिलेगी जोड़ी अपनी

इस जहाँ में और फिर उस मकाम पे.

SS

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